tag:blogger.com,1999:blog-3307232422656544743.post5353858338325803877..comments2024-02-23T00:50:35.868-08:00Comments on रेडियो धमाल: मेरा पुराना ट्रांसिस्टर.. Dr Parveen Choprahttp://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3307232422656544743.post-41340608868681294192014-01-13T21:11:45.569-08:002014-01-13T21:11:45.569-08:00मेरे पास भी कई रेडियो हैं. एक तो फ़िलिप्स का सेल्फ...मेरे पास भी कई रेडियो हैं. एक तो फ़िलिप्स का सेल्फजनरेटर युक्त लिया था - आधे घंटे हाथ से उसमें चाभी भरो, और कोई चार-पांच घंटे रेडियो सुनो.<br /><br />रेडियो की बात निकली है तो याद आया - मैंने सब्सक्राइबर युक्त चालीस चैनल का एक सेटेलाइट रेडियो रतलाम में रहते हुए बाहर से मंगवाया था, पर महीने भर में बोर हो गया क्योंकि उसमें हिंदी कंटेंट ही नहीं था ज्यादा - बारी बारी से एक ही चीज परोसते थे.<br /><br /> रवि जी की इस टिप्पणी से एक बात तो बहुत रोचक पता चली कि चाबी वाला रेडियो भी है। और दूसरा यह कि विदेश से महंगा सेटेलाइट रेडियो भी यहां नहीं चलता। बहुत बहुत धन्यवाद, रवि जी, जानकारी शेयर करने के लिए। <br />Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3307232422656544743.post-68386053003283471202014-01-13T21:08:15.975-08:002014-01-13T21:08:15.975-08:00जी हां, रवि जी, बिल्कुल सही यह टू-इन-वन ही है, लेक...जी हां, रवि जी, बिल्कुल सही यह टू-इन-वन ही है, लेकिन हम जैसों को जैसे हर ऐसी चीज़ को रेडियो, ट्रांसिस्टर ही कहने की आदत सी पड़ चुकी है। Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3307232422656544743.post-46451181844059758352014-01-13T08:35:06.638-08:002014-01-13T08:35:06.638-08:00ये तो टूइनवन जैसा दिख रहा है.
मेरे पास भी कई रेडिय...ये तो टूइनवन जैसा दिख रहा है.<br />मेरे पास भी कई रेडियो हैं. एक तो फ़िलिप्स का सेल्फजनरेटर युक्त लिया था - आधे घंटे हाथ से उसमें चाभी भरो, और कोई चार-पांच घंटे रेडियो सुनो.<br /><br />रेडियो की बात निकली है तो याद आया - मैंने सब्सक्राइबर युक्त चालीस चैनल का एक सेटेलाइट रेडियो रतलाम में रहते हुए बाहर से मंगवाया था, पर महीने भर में बोर हो गया क्योंकि उसमें हिंदी कंटेंट ही नहीं था ज्यादा - बारी बारी से एक ही चीज परोसते थे.<br /><br />और, रही बात एंटीना की, तो रतलाम में रहते हुए इंदौर का एफएम स्टेशन सुनने के लिए (रतलाम में कोई भी एफएम रेडियो स्टेशन नहीं है) दो मंजिला विशेष एंटीना तैयार किया था. अब ये बात दीगर है कि भोपाल आने के बाद यहां कोई आधा दर्जन एफएम चैनल होने के बाद भी उन्हें सुनने को मन नहीं करता - फ़ालतू की बकवास और बारंबार बजते वही प्रोमो गाने!<br /><br />ट्रांजिस्टर की बात आपने छेड़ी है तो बहुत सी पुरानी यादें ताज़ा हो गईं... और भी ढेरों बातें... :)रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3307232422656544743.post-55602129079507924182014-01-13T07:12:35.345-08:002014-01-13T07:12:35.345-08:00 सागर जी, मुझे तो दिख रहा है भाई। सागर जी, मुझे तो दिख रहा है भाई। Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3307232422656544743.post-41590790297596361732014-01-13T07:10:20.633-08:002014-01-13T07:10:20.633-08:00डॉ साहब, रेडियो यहाँ तो दिख नहीं रहा। फेअसबुक पर ज...डॉ साहब, रेडियो यहाँ तो दिख नहीं रहा। फेअसबुक पर जरूर दिख रहा है।<br />यहाँ शायद अपलोड होने से रह गया है। <br />:)सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.com